भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में पीपल के पेड़ को अत्यंत पवित्र और महत्वूपर्ण माना गया है। इसे “अश्वत्थ वृक्ष” के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन जब यह घर के अंदर उग आता है, तो समस्याएं पैदा कर सकता है। लेकिन पीपल का पेड़ इतना पवित्र माना जाता है कि इसे यूं ही उखाड़ कर नहीं फेंका जा सकता। तो, चलिए जानते हैं कि इसे कैसे हटा सकते हैं और साथ में इस पेड़ का महत्व भी समझेंगे…
हाइलाइट्स
पीपल का पेड़ हिंदू धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है और इसे मोक्ष का वृक्ष माना जाता है।
- भगवान गौतम बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति की, इसलिए इसे ‘बोधि वृक्ष’ कहा जाता है।
- पीपल का वृक्ष जन्म और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतीक है, जिससे व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
- वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में उगे पीपल के पेड़ को अशुभ माना गया है और इसे हटाना आवश्यक है।
- पीपल के पेड़ को हटाने से पहले उसकी पूजा करना चाहिए और इसे किसी पवित्र स्थान पर स्थानांतरित करने की सलाह दी जाती है।

पीपल के पेड़ का आध्यात्मिक महत्व क्या है? अगर घर की दीवार या छत पर पीपल का पेड़ उग आये तो उसे कैसे हटाना चाहिए?
पीपल का पेड़ हिंदू धर्म में एक विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है। तभी आपने इसे लगभग हर मंदिर या आध्यात्मिक स्थान पर देखा होगा। पीपल के पेड़ को धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को वृक्षों में पीपल के समान बताया है। अगर धार्मिक मान्यताओं को देखें, तो पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव का निवास स्थान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसकी जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में शिव का वास होता है। इसे पूजने से व्यक्ति को त्रिदेवों की कृपा प्राप्त होती है।
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पीपल के पेड़ का आध्यात्मिक महत्व
हिंदू धर्म में पीपल को मोक्ष का वृक्ष माना गया है। पीपल के पेड़ के नीचे भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसलिए इसे “बोधि वृक्ष” कहा जाता है। बौद्ध धर्म में पीपल को जागरूकता और आत्मज्ञान का प्रतीक माना गया है। पीपल का पेड़ जन्म और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतीक है। इसे पूजने से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है। यह पेड़ ध्यान और योग के लिए आदर्श स्थान माना जाता है। पीपल का वृक्ष 24 घंटे ऑक्सीजन देता है, इसलिए इसे जीवन का रक्षक भी कहा जाता है। इसे छूने या इसके समीप ध्यान लगाने से सकारात्मक ऊर्जा और सुकून मिलता है। मान्यता है कि पीपल की पूजा करने से घर और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। पीपल की पूजा करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है। विशेष रूप से शनिवार के दिन इसकी पूजा करने से शनि दोष शांत होता है। पीपल की पूजा ज्येष्ठ मास में विशेष रूप से की जाती है। महिलाओं द्वारा संतान प्राप्ति और परिवार की खुशहाली के लिए पीपल की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है।
घर में उगे पीपल के पेड़ को कैसे हटायें?
वास्तुशास्त्र में घर के भीतर पीपल के पेड़ को अशुभ माना गया है क्योंकि इसका तना और जड़ें बहुत मजबूत होती हैं, जो घर की नींव को नुकसान पहुंचा सकती हैं। पीपल का पेड़ तेजी से बढ़ता है और इसकी शाखाएं फैल जाती हैं। इससे घर में पर्याप्त सूर्यप्रकाश और वायु प्रवाह बाधित हो सकता है, जो वास्तु दोष उत्पन्न करता है। इसके अलावा पीपल का पेड़ कई तरह की ऊर्जाओं को आकर्षित करता है, जिससे परिवार को हानि पहुँच सकती है। इसलिए अगर घर में पीपल का पेड़ उग आये, तो उसे हटाना जरूरी है लेकिन यह एक पवित्र पेड़ है, तो आप इसे यूं ही नहीं हटा सकते।
पीपल के पेड़ को हटाने से पहले उसकी पूजा करें और भगवान से क्षमा प्रार्थना करें। इससे धार्मिक दृष्टि से पेड़ को हटाने की प्रक्रिया को शुभ माना जाता है। पीपल के पेड़ को हटाने के लिए किसी पवित्र दिन जैसे पूर्णिमा, अमावस्या या किसी विशेष त्यौहार का दिन चुनें। यदि संभव हो, तो पीपल के पेड़ को किसी अन्य पवित्र स्थान, जैसे मंदिर या बगीचे में लगा दें। इससे पेड़ की धार्मिक महत्ता बनी रहती है। स्थानांतरण के बाद वहां पूजा करें। अगर आप कहीं और नहीं लगाना चाहते हैं, तो पीपल के छोटे पौधे को गमले में लगा दें और उसे अपने घर के बाहर या बगीचे में रख दें। पेड़ की समय-समय पर कटाई करते रहें, ताकि पेड़ बहुत अधिक स्थान न ले..