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मंत्र से आरोग्यता

आरोग्यता, अर्थात् स्वास्थ्य, जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में स्वस्थ रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस संदर्भ में, प्राचीन भारतीय परंपराओं में स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए मंत्रों का महत्व अत्यधिक है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे “मंत्र से आरोग्यता” को प्राप्त किया जा सकता है और इसके लाभ क्या हैं।

मंत्र वह शक्ति हैं जो मन, शरीर और आत्मा को एक साथ जोड़ते हैं। ये साधारण शब्दों का समूह होते हैं, लेकिन जब इन्हें सही तरीके से उच्चारित किया जाता है, तो ये अद्भुत प्रभाव डाल सकते हैं। 

   यह मंत्र स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इसे जपने से मानसिक तनाव कम होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

   ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।

   उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर मक्षीय माऽमृतात्॥

   यह मंत्र विभिन्न रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए जपा जाता है। इसका जाप करने से मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।

*🔸शब्दों की ध्वनि का अलग-अलग अंगों पर एवं वातावरण पर असर होता है । कई शब्दों का उच्चारण कुदरती रूप से होता है । आलस्य के समय कुदरती आ… आ… होता है । रोग की पीड़ा के समय ॐ…. ॐ…. का उच्चारण कुदरती ऊँह…. ऊँह…. के रूप में होता है । यदि कुछ अक्षरों का महत्त्व समझकर उच्चारण किया जाय तो बहुत सारे रोगों से छुटकारा मिल सकता है ।*

*🔸’अ’ उच्चारण से जननेन्द्रिय पर अच्छा असर पड़ता है ।*

*🔸’आ’ उच्चारण से जीवनशक्ति आदि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है । दमा और खाँसी के रोग में आराम मिलता है, आलस्य दूर होता है ।*

*🔸’इ’ उच्चारण से कफ, आँतों का विष और मल दूर होता है । कब्ज, पेड़ू के दर्द, सिरदर्द और हृदयरोग में भी बड़ा लाभ होता है । उदासीनता और क्रोध मिटाने में भी यह अक्षर बड़ा फायदा करता है ।*

*🔸’ओ’ उच्चारण से ऊर्जाशक्ति का विकास होता है ।*

*🔸’म’ उच्चारण से मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। शायद इसीलिए भारत के ऋषियों ने जन्मदात्री के लिए ‘माता’ शब्द पसंद किया होगा ।*

*🔸’ॐ’ का उच्चारण करने से ऊर्जा प्राप्त होती है और मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं । मस्तिष्क, पेट और सूक्ष्म इन्द्रियों पर सात्त्विक असर होता है ।*

*🔸’ह्रीं’ उच्चारण करने से पाचन-तंत्र, गले और हृदय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है ।*

*🔸’ह्रं’ उच्चारण करने से पेट, जिगर, तिल्ली, आँतों और गर्भाशय पर अच्छा असर पड़ता है ।*

1. **स्वच्छता**: मंत्र का जाप हमेशा स्वच्छ स्थान पर करें। स्नान के बाद पूजा स्थल पर बैठना उचित होता है।

2. **सामग्री**: एक माला का उपयोग करें, जो 108 मनकों की हो। इससे आपको सही संख्या में जाप करने में मदद मिलेगी।

3. **नियमितता**: नियमितता का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। सुबह के समय मंत्र जप करना सबसे लाभकारी माना जाता है।

1. मानसिक शांति

मंत्र जपने से मानसिक शांति और संतुलन मिलता है। यह ध्यान की तरह काम करता है और मन को स्थिर करता है।

2. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

नियमित रूप से मंत्र का जाप करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है।

3. तनाव और चिंता का निवारण

मंत्र जप से मन में उत्पन्न होने वाले नकारात्मक विचार कम होते हैं, जिससे तनाव और चिंता में कमी आती है।

4. आत्मविश्वास में वृद्धि

मंत्रों का जप करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति अपने लक्ष्यों की ओर बेहतर तरीके से बढ़ सकता है।

“मंत्र से आरोग्यता” का तात्पर्य है कि स्वास्थ्य और समृद्धि को प्राप्त करने के लिए हमें अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। मंत्रों का जप न केवल हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता भी लाता है। यदि आप भी अपने जीवन में आरोग्यता को लाना चाहते हैं, तो आज से ही मंत्रों का जाप शुरू करें और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखें।

स्वास्थ्य ही धन है, और मंत्रों के माध्यम से इसे प्राप्त करना न केवल संभव है, बल्कि यह एक प्राचीन और प्रभावी विधि भी है। अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, मंत्र जपने की आदत डालें और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन का अनुभव करें।

इस लेख में हमने “मंत्र से आरोग्यता” के महत्व और इसके लाभों को समझा। आशा है कि आप इस जानकारी का लाभ उठाएंगे और अपने जीवन में आरोग्यता को स्थापित करेंगे।

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